१.
२.
अब ये होगा शायद अपनी आग में ख़ुद जल जायेंगेतुम से दूर बहुत रहकर भी क्या खोया क्या पायेंगे
दुख भी सच्चे सुख भी सच्चे फिर भी तेरी चाहत मेंहमने कितने धोके खाये कितने धोके खायेंगे
अक़्ल पे हम को नाज़ बहुत था लेकिन कब ये सोचा थाइश्क के हाथों ये भी होगा लोग हमें समझायेंगे
कल के दुख भी कौनसे बाक़ी आज के दुख भी कै दिन केजैसे दिन पहले काटे थे ये दिन भी कट जायेंगे
हम से आबला-पा जब तन्हा घबरायेंगे सहरा मेंरास्ते सब तेरे ही घर की जानिब को मुड़ जायेंगे
आंख़ों से औझल होना क्या दिल से औझल होना हैमुझसे छूट कर भी अहले ग़म क्या तुझसे छुट जायेंगे