१.
आप दुनिया भर से उल्फत कीजिये
मुझको मेरा दिल इनायत कीजिये
ज़ब्त से क्या खून-ए-हसरत कीजिये
एक नाला कर के फ़ुर्सत कीजिये
जोअफ़ कहता है के मंजिल दूर है
शौक़ कहता है की हिम्मत कीजिये
गर्क ही होना था मंज़ूर-ए-खुदा
न-खुदा की क्या शिकायत कीजिये
हज़रात-ए-’नातिक’ जहाँ तक हो सके
अपने दिल में ज़ब्त-ऐ-उल्फत कीजिये