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सन्देश

मुद्दतें गुज़री तेरी याद भी आई न हमें,
और हम भूल गये हों तुझे ऐसा भी नहीं
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रविवार, 16 जून 2013

सजन कुमार मुरारका

नाम :- सजन कुमार मुरारका
राज्य:- पश्चिमबंगाल
जन्मतिथि (वर्ष सहित) ११.५.१९५६
जन्मस्थान (राज्य के नाम सहित) : बांकुरा (पश्चिमबंगाल)
विस्तृत जीवनी :-ब्यापारी वर्ग के परिवार मैं जन्मा, पढ़ाई -लिखाई बंगाल मैं हुई.सम्पर्क
:
https://www.facebook.com/sajan.murarka

१. 

कभी हंसाती, कभी रुलाती, कितने गुल खिलती हैं
अज़ब दास्ताँ है भाग्य की ,फिर भी इसी की चाहत हैं

नजराना पाप-पुण्य का , मुक़द्दर सबका होता है ;
कहते तकदीर खुली जिसकी , वही सिकंदर होता है ,

तदबीर करें कियों कोई ? भाग्य पर जब चलता है
तकदीर की चले जो तदबीर क्या काम करता है .

सन्देशा मिला "गीता"से , फल की आशा ब्यर्थ है ;
कर्म को दिल से लगाकर, विधि का निर्णय पाता है

मैं चकित ,मेरे कर्म के पश्चयात-क्या यह तय होता है
अगर आगे से तय-सुदा, तो कर्म से उम्मीद क्या है ,

यह पहेली समझ ना आई, मन मेरा सवाल करता है .
कर्म प्रधान या भाग्य महान, कैसे इसका निदान होता है

कोई जनम से भोगे सुख, करम जरुरत कंहा होता है
कोई करम के बाद सोये भूखा-नंगा, भाग्य कंहा होता है

कैसे भी हो ये कहना मुश्किल है , तदबीर से होता है .
कैसे भी हो ये कहना मुश्किल है, तकदीर से होता है

मिले ग़र तकदीर -तदवीर से, नतीजा आसन होता है
अगर मिल गई तदवीर-तकदीर से काम तमाम होता है

२. 
मेरे दर्द भी अन्जाम है, मेरे नाकाम प्यार के
आखिर प्यार में दर्द ही तो मिला आप से

दर्द बहूत था दिल में, लेकिन मिला प्यार से
प्यार नहीं, आपका दर्द- "हमदर्द" है, हम से

दर्द को ना देखिये , उल्फत की नज़र से
स्वीकारा इसको हमने तोउफा समझ आपसे

प्यार अगर मिलता तो, मशगुल से जीते
दर्द मिला, तभी प्यार को याद कर जीते

प्यार नहीं मिला, न कोई गमे-सरोकार
प्यार की कशमकस, दर्द में ही बकरार

दर्द से मैं सो नहीं सकता,देखता ख्वाब
आप सोकर भी नहीं देखते प्यार का ख्वाब

याद ना करू कैसे वह हसीन पल ज़िन्दगी के
मुझको और रुलाते तेरे, कसमे-वादे प्यार के

लाख चाहे तो रोक नहीं सकते आसूं दर्द से
मिल जाता प्यार अगर, निकलते आंसू खुशी से

आंसू की कदर क्या जाने प्यार-बेखबर
दर्द निकलता प्यार से, होते जब बेक़रार

तुमको कभी रोना आया नहीं - दर्द से
प्यार "प्यार" नहीं जो गुजरा नहीं दिल से

 ३. 
मुझे ख्वाइस है किसी के प्यार की
मालूम मुझे तकलीफे इस मंजर की

फिर भी चाहत है किसी दिलवर की
हाँ, मैं नाकाबिल रहूँगा, यह ईलम भी

सुना था किसीके दीदार से बड़ने की
या बिन मुलाकात थम जाने की

मुझे परखना है धडकने दिल की
जी लेते है लोग? दिल धडके या नहीं भी

नजर से नजर की आंख-मिचोली की
दिलवर की मोहब्बत भरी नजर की

सर्द, या नाजुक छबि किसी नजर की
कैसी होती यह नजर, देखना है मुझे भी

दिल से दिल के लगन या मिलन की
क्यों मिल जाते,दिल.पता लगाने की

पराये दिल को अपना दिल बनाने की
यह अनबूझा लेन-देन चाहे मेरा दिल भी

जज्वा कहें,जूनून कहें,राहें प्यार की
चाहत कहें,जरूरत कहें,शर्त जीने की

प्यार होता क्यों ? बात है समझने की
तभी तो प्यार की ख्वाइस है मेरी भी