(५ अगस्त १९३३ – १० नवम्बर १९९५)
१.
दिल कहे दीवाना बनकर दरबदर हो जाइये
दूसरा दिल हो कि शाम आ पहुंची घर को जाइये
कौन सी आवारगी यारी कहाँ की सरखुशी
घर में पीजै मीर को पढ़िये वहीं सो जाइये
आने वाले वसवसे बीते दिनों से भाग कर
कुछ न बन पाए तो रस्तों में कहीं खो जाइये
हमको सब मालूम है मालूम होने का भरम
बस ये औलादें ही बस में हैं यही बो जाइये
घर के दीवारों के गिरने की खबर मुझको भी है
आप खुश होना अगर चाहें तो खुश हो जाइये
माँगिये हर एक से उसके गुनाहों का हिसाब
और सारे शहर में सबके खुदा हो जाइये
२.
यह सन्नाटा बहुत महँगा पड़ेगा
उसे भी फूट कर रोना पड़ेगा
वही दो चार चेहरे अजनबी से
उन्हीं को फिर से दोहराना पड़ेगा
कोई घर से निकलता ही नहीं है
हवा को थक के सो जाना पड़ेगा
यहाँ सूरज भी काला पड़ गया है
कहीं से दिन भी मंगवाना पड़ेगा
वे अच्छे थे जो पहले मर गये हैं
हमें कुछ और पछताना पड़ेगा
१.
दिल कहे दीवाना बनकर दरबदर हो जाइये
दूसरा दिल हो कि शाम आ पहुंची घर को जाइये
कौन सी आवारगी यारी कहाँ की सरखुशी
घर में पीजै मीर को पढ़िये वहीं सो जाइये
आने वाले वसवसे बीते दिनों से भाग कर
कुछ न बन पाए तो रस्तों में कहीं खो जाइये
हमको सब मालूम है मालूम होने का भरम
बस ये औलादें ही बस में हैं यही बो जाइये
घर के दीवारों के गिरने की खबर मुझको भी है
आप खुश होना अगर चाहें तो खुश हो जाइये
माँगिये हर एक से उसके गुनाहों का हिसाब
और सारे शहर में सबके खुदा हो जाइये
२.
यह सन्नाटा बहुत महँगा पड़ेगा
उसे भी फूट कर रोना पड़ेगा
वही दो चार चेहरे अजनबी से
उन्हीं को फिर से दोहराना पड़ेगा
कोई घर से निकलता ही नहीं है
हवा को थक के सो जाना पड़ेगा
यहाँ सूरज भी काला पड़ गया है
कहीं से दिन भी मंगवाना पड़ेगा
वे अच्छे थे जो पहले मर गये हैं
हमें कुछ और पछताना पड़ेगा