जन्म तिथि : ११ जुलाई १९५९, आरा (बिहार)नये मौसम की तलाश,ज़हरे गुल,एक दरिया ख़्वाब में,
१.
वह तेरी हंसी थी, वह कैसा समां था
मुअत्तर तेरी ज़ुल्फ़ से गुलसितां था,
हिनाई सफ़र था, चमन नग़मा ज़न था
मेरी जिंदगी में तू रूह ऐ रवां था;
ना जाने है क्यों, मुझ से तू बदगुमाँ अब
ये कैसा समां है वो कैसा समां था;
न था दरम्यान फासला कोई अपने
नहीं कुछ निहां जो भी था वह अयाँ था
सताती है अब मुझ को वह याद ए माजी
हसीन तू भी था और मैं भी जवान था
अब आया है करने को अहवाल पुरसी
अब इतने दिनों यह बता तू कहाँ था .
हयात आज है जिंदगी तल्ख़ अपनी
वह दिन याद हैं जब मेरी जान ए जान था
१.
वह तेरी हंसी थी, वह कैसा समां था
मुअत्तर तेरी ज़ुल्फ़ से गुलसितां था,
हिनाई सफ़र था, चमन नग़मा ज़न था
मेरी जिंदगी में तू रूह ऐ रवां था;
ना जाने है क्यों, मुझ से तू बदगुमाँ अब
ये कैसा समां है वो कैसा समां था;
न था दरम्यान फासला कोई अपने
नहीं कुछ निहां जो भी था वह अयाँ था
सताती है अब मुझ को वह याद ए माजी
हसीन तू भी था और मैं भी जवान था
अब आया है करने को अहवाल पुरसी
अब इतने दिनों यह बता तू कहाँ था .
हयात आज है जिंदगी तल्ख़ अपनी
वह दिन याद हैं जब मेरी जान ए जान था