" हिन्दी काव्य संकलन में आपका स्वागत है "


"इसे समृद्ध करने में अपना सहयोग दें"

सन्देश

मुद्दतें गुज़री तेरी याद भी आई न हमें,
और हम भूल गये हों तुझे ऐसा भी नहीं
हिन्दी काव्य संकलन में उपल्ब्ध सभी रचनायें उन सभी रचनाकारों/ कवियों के नाम से ही प्रकाशित की गयी है। मेरा यह प्रयास सभी रचनाकारों को अधिक प्रसिद्धि प्रदान करना है न की अपनी। इन महान साहित्यकारों की कृतियाँ अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाना ही इस ब्लॉग का मुख्य उद्देश्य है। यदि किसी रचनाकार अथवा वैध स्वामित्व वाले व्यक्ति को "हिन्दी काव्य संकलन" के किसी रचना से कोई आपत्ति हो या कोई सलाह हो तो वह हमें मेल कर सकते हैं। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जायेगी। यदि आप अपने किसी भी रचना को इस पृष्ठ पर प्रकाशित कराना चाहते हों तो आपका स्वागत है। आप अपनी रचनाओं को मेरे दिए हुए पते पर अपने संक्षिप्त परिचय के साथ भेज सकते है या लिंक्स दे सकते हैं। इस ब्लॉग के निरंतर समृद्ध करने और त्रुटिरहित बनाने में सहयोग की अपेक्षा है। आशा है मेरा यह प्रयास पाठकों के लिए लाभकारी होगा.(rajendra651@gmail.com)

फ़ॉलोअर

सोमवार, 15 अप्रैल 2013

पं. ब्रिज नारायन चकबस्त




1.

दर्दे-दिल पासे-वफ़ा जज़्बए-ईमाँ होना
आदमीयत है यही औ यही इन्साँ होना
नौ-गिरफ्तारे-बला तर्जे-फुगाँ क्या जानें
कोई नाशाद सिखा दे उन्हें नालाँ होना
रह के दुनिया में है यूं तर्के-हवस की कोशिश
जिस तरह अपने ही साए से गुरेजाँ होना
ज़िंदगी क्या है अनासिर में ज़हूरे-तरतीब
मौत क्या है, इन्हीं अज्ज़ा का परीशाँ होना
दिल असीरी में भी आज़ाद है आज़ादों का
वल्वलों के लिए मुमकिन नहीं ज़िनदाँ होना
गुल को पामाल न कर लालो-गुहर के मालिक
है इसे तुर्रए - दस्तारे - ग़रीबाँ होना
है मेरा ज़ब्ते- जुनूँ जोशे - जुनूँ से बढ़कर
नंग है मेरे लिए चाक - गरीबाँ होना