जन्म :30 जून,१९११ ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ग्राम तरौनी, जिला
दरभंगा,बिहार में। निधन :५ नवम्बर १९९८।
सीधे सादे शब्द हैं, भाव बड़े ही गूढ़।
अन्नपचीसी
खोल ले, अर्थ जान ले मूढ़।
कबिरा खड़ा बज़ार में लिए लुकाठी हाथ।
बंदा क्या
घबराएगा जनता देगी साथ।
छीन सके तो छीन ले, लूट सके तो लूट।
मिल सकती कैसे
भला अन्न चोर को छूट।
आज गहन है भूख का, धुंधला है आकाश।
कल अपनी सरकार
का होगा पर्दाफाश।
नागार्जुन मुख से कढ़े साखी के ये बोल।
साथी को
समझाइए रचना है अनमोल।
अन्न पचीसी मुख्तसर, लोग करोड़ करोड़।
सचमुच ही लग
जाएगी, आँख कान में होड़।
अन्न ब्रह्म ही ब्रह्म है बाकी ब्रह्म पिशाच।
औघड़
मैथिल नाग जी अर्जुन यही उवाच।