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सन्देश

मुद्दतें गुज़री तेरी याद भी आई न हमें,
और हम भूल गये हों तुझे ऐसा भी नहीं
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सोमवार, 13 मई 2013

संजय मिश्रा 'हबीब' के दोहे

१.

आओ दीप पड़ोस में, आज सजा दें यार |
आपस में हैं घर सभी, नाते रिश्ते दार ||

सूरज दीपक बन करे, अमावस्य पर घात |
आज निशा के सामने, शरमाये परभात ||

उजियारा झरना झरे, झिलमिल दीपक हार | 
खुशियाँ नाचें झूम के, आज सभी के द्वार ||

तेरे मेरे हाथ हों, सु - कामना के दीप |
सरस नेह हो मन भरा, जागे भाव प्रदीप || 

शीतल वायु खुशियों की, ले आया सन्देश |

                        सारी दुनिया से अलग, अपना भारत देश ||


२.

आओ दीप पड़ोस में, आज सजा दें यार |
आपस में हैं घर सभी, नाते रिश्ते दार ||

सूरज दीपक बन करे, अमावस्य पर घात |
आज निशा के सामने, शरमाये परभात ||

उजियारा झरना झरे, झिलमिल दीपक हार | 
खुशियाँ नाचें झूम के, आज सभी के द्वार ||

तेरे मेरे हाथ हों, सु - कामना के दीप |
सरस नेह हो मन भरा, जागे भाव प्रदीप || 

शीतल वायु खुशियों की, ले आया सन्देश |
सारी दुनिया से अलग, अपना भारत देश ||