30 जून, 1967 को रामपुर (उ०प्र०) में जन्म.दो व्यंग्य-संग्रह प्रकाशित
१.
रंगो खुशबू फालतू, आबो हवा बेकार है
चारागर हो बेइमां तो हर दवा बेकार है
लट्ठ के आगे लॅंगोटी खुल गई तो क्या कहें
मुद्दई बेकार है या मुद्दआ बेकार है
हम अजल से जी रहे हैं तीरगी के खौफ में
बोलिये मत हाल ये इस मर्तबा बेकार है
आप हों बेध्यान गर और जल गई हों रोटियॉं
तो कहो आराम से बस, ये तवा बेकार है
जिन उसूलों की किताबों ने पलट दीं सल्तनत
आजकल हैं फालतू, गो हर सफा बेकार है
चारागर हो बेइमां तो हर दवा बेकार है
मोमिनों में आजकल ये भी बहस चलने लगी
ये खुदा बेकार है या वो खुदा बेकार हैलट्ठ के आगे लॅंगोटी खुल गई तो क्या कहें
मुद्दई बेकार है या मुद्दआ बेकार है
हम अजल से जी रहे हैं तीरगी के खौफ में
बोलिये मत हाल ये इस मर्तबा बेकार है
आप हों बेध्यान गर और जल गई हों रोटियॉं
तो कहो आराम से बस, ये तवा बेकार है
जिन उसूलों की किताबों ने पलट दीं सल्तनत
आजकल हैं फालतू, गो हर सफा बेकार है