1.
जागती आँखों के थे सपने छुपाने में लगे
यानी हमको याद करके वो भुलाने में लगे
आपने पत्थर उछाले थे कभी मेरी तरपफ
सारे पत्थर दोस्तो वो द्घर बनाने में लगे
तितलियों के रंग कच्चे हो गये ये सोचकर
पफूल को मौसम क्यूँ इतने मुस्कराने में लगे
नपफरतें लेकर जमाने ने हमें देखा मगर
हम भी लेकर प्यार सच्चा आजमाने में लगे
उठ गया दुनिया का मेला हाट 'औ' बाजार भी
हमको इतने दिन यहाँ सजने सजाने में लगे
2.
जिन्दगी में असूल बाँटेंगे
पिफर नई एक भूल बाँटेंगे
लोग पफूलों के चाहने वाले
आ के तुझको त्रिाशूल बाँटेंगे
पहले बाँटेंगे पफूल पत्तों को
पेड़ को पिफर समूल बाँटेंगे
स्वप्न द्घर का दिखाके आँखों को
राह को वो बबूल बाँटेंगे
ये बवंडर उठे जो सत्ता के
तेरी आँखों को धूल बाँटेंगे
कै़द मंदिर में देवता कर के
हम को पूजा के पफूल बाँटेंगे
3.
वो पहले बाजुओं पर हौसलों के पर बनाते हैं
परिंदे पिफर कहीं हैं आसमां में द्घर बनाते हैं
कभी थी पफूल में तितली, कभी था पफूल तितली में
ये रिश्ते प्यार के मौसम के बाजीग़र बनाते हैं
उन्हें हम डूबने का मश्विरा देने को निकले हैं
किनारों पर खड़े जो डूबने का डर बनाते हैं
बिखरते खुश्बुएँ बनकर यहाँ बाहर हम ही लेकिन
हम हीं पफूलों की पंखुरी, तितलियों के पर बनाते हैं
दिलों की ये जमीं है हम जहाँ ठहरे रुके अब तक
नहीं दीवार-दर कोई जहाँ हम द्घर बनाते हैं
4.
कहीं पर खून की होली कहीं पर जाम दंगों में
हुआ है बस यहाँ पर आदमी गुमनाम दंगों में
रहे बनकर जो अब तक शांति के उजले कबूतर थे
उन्हीं के सामने आए उछलकर नाम दंगों में
कहाँ पर तू कहाँ मैं नहीं मालूम है लेकिन
कहीं पर बुश मिलेगा तो कहीं सद्दाम दंगों में
हुई है जीत किसकी और किसकी हार क्या जाने
कहीं द्घायल हुआ अल्लाह कहीं पर राम दंगों में
ये सूरज रो रहा है आसमां पर खून के आँसू
टपकताखूनदेखाहैयहाँहरशामदंगोंमें
5.
सुर्ख फूलों में किसी तौहार को जिंदा किया
एक तितली ने सभी के प्यार को जिंदा किया
तुम हुए सागर तो मैं भी एक बादल की तरह
मिट गया मिट कर नदी धार को जिंदा किया
बागबाँ से आपने फूलों की कीमत पूछ कर
खुशबुओं के देश में बाजार को जिंदा किया
जिंदगी ने एक भूखे से निवाला छीन कर
फिर किसी शैतान के किरदार को जिंदा किया
था मैं पत्थर खुरदरा तुमने नदी बन कर मुझे
छू लिया छूकर किसी फनकार को जिंदा किया
जागती आँखों के थे सपने छुपाने में लगे
यानी हमको याद करके वो भुलाने में लगे
आपने पत्थर उछाले थे कभी मेरी तरपफ
सारे पत्थर दोस्तो वो द्घर बनाने में लगे
तितलियों के रंग कच्चे हो गये ये सोचकर
पफूल को मौसम क्यूँ इतने मुस्कराने में लगे
नपफरतें लेकर जमाने ने हमें देखा मगर
हम भी लेकर प्यार सच्चा आजमाने में लगे
उठ गया दुनिया का मेला हाट 'औ' बाजार भी
हमको इतने दिन यहाँ सजने सजाने में लगे
2.
जिन्दगी में असूल बाँटेंगे
पिफर नई एक भूल बाँटेंगे
लोग पफूलों के चाहने वाले
आ के तुझको त्रिाशूल बाँटेंगे
पहले बाँटेंगे पफूल पत्तों को
पेड़ को पिफर समूल बाँटेंगे
स्वप्न द्घर का दिखाके आँखों को
राह को वो बबूल बाँटेंगे
ये बवंडर उठे जो सत्ता के
तेरी आँखों को धूल बाँटेंगे
कै़द मंदिर में देवता कर के
हम को पूजा के पफूल बाँटेंगे
3.
वो पहले बाजुओं पर हौसलों के पर बनाते हैं
परिंदे पिफर कहीं हैं आसमां में द्घर बनाते हैं
कभी थी पफूल में तितली, कभी था पफूल तितली में
ये रिश्ते प्यार के मौसम के बाजीग़र बनाते हैं
उन्हें हम डूबने का मश्विरा देने को निकले हैं
किनारों पर खड़े जो डूबने का डर बनाते हैं
बिखरते खुश्बुएँ बनकर यहाँ बाहर हम ही लेकिन
हम हीं पफूलों की पंखुरी, तितलियों के पर बनाते हैं
दिलों की ये जमीं है हम जहाँ ठहरे रुके अब तक
नहीं दीवार-दर कोई जहाँ हम द्घर बनाते हैं
4.
कहीं पर खून की होली कहीं पर जाम दंगों में
हुआ है बस यहाँ पर आदमी गुमनाम दंगों में
रहे बनकर जो अब तक शांति के उजले कबूतर थे
उन्हीं के सामने आए उछलकर नाम दंगों में
कहाँ पर तू कहाँ मैं नहीं मालूम है लेकिन
कहीं पर बुश मिलेगा तो कहीं सद्दाम दंगों में
हुई है जीत किसकी और किसकी हार क्या जाने
कहीं द्घायल हुआ अल्लाह कहीं पर राम दंगों में
ये सूरज रो रहा है आसमां पर खून के आँसू
टपकताखूनदेखाहैयहाँहरशामदंगोंमें
5.
एक तितली ने सभी के प्यार को जिंदा किया
तुम हुए सागर तो मैं भी एक बादल की तरह
मिट गया मिट कर नदी धार को जिंदा किया
बागबाँ से आपने फूलों की कीमत पूछ कर
खुशबुओं के देश में बाजार को जिंदा किया
जिंदगी ने एक भूखे से निवाला छीन कर
फिर किसी शैतान के किरदार को जिंदा किया
था मैं पत्थर खुरदरा तुमने नदी बन कर मुझे
छू लिया छूकर किसी फनकार को जिंदा किया